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गिनती
वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤µà¤¿à¤µà¤°à¤£
यहोशू
रूत
1 शमूà¤à¤²
2 शमूà¤à¤²
1 राजा
2 राजा
1 इतिहास
2 इतिहास
à¤à¤œà¥à¤°à¤¾
नहेमायाह
à¤à¤¸à¥à¤¤à¥‡à¤°
अयà¥à¤¯à¥‚ब
à¤à¤œà¤¨ संहिता
नीतिवचन
सà¤à¥‹à¤ªà¤¦à¥‡à¤¶à¤•
शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ गीत
यशायाह
यिरà¥à¤®à¤¯à¤¾à¤¹
विलापगीत
यहेजकेल
दानियà¥à¤¯à¥‡à¤²
होशे
योà¤à¤²
आमोस
ओबदà¥à¤¦à¤¾à¤¹
योना
मीका
नहूम
हबकà¥à¤•ूक
सपनà¥à¤¯à¤¾à¤¹
हागà¥à¤—ै
जकरà¥à¤¯à¤¾à¤¹
मलाकी
मतà¥à¤¤à¥€
मरकà¥à¤¸
लूका
यूहनà¥à¤¨à¤¾
पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ के काम
रोमियो
1 कà¥à¤°à¤¿à¤¨à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚
2 कà¥à¤°à¤¿à¤¨à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚
गलातियों
इफिसियों
फिलिपà¥à¤ªà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚
कà¥à¤²à¥à¤¸à¥à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚
1 थिसà¥à¤¸à¤²à¥à¤¨à¥€à¤•ियों
2 थिसà¥à¤¸à¤²à¥à¤¨à¥€à¤•ियों
1 तीमà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥à¤¸
2 तीमà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥à¤¸
तीतà¥à¤¸
फिलेमोन
इबà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚
याकूब
1 पतरस
2 पतरस
1 यूहनà¥à¤¨à¤¾
2 यूहनà¥à¤¨à¤¾
3 यूहनà¥à¤¨à¤¾
यहूदा
पà¥à¤°à¤•ाशित वाकà¥à¤¯
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पà¥à¤°à¤•ाशित वाकà¥à¤¯ : 14
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फिर मैं ने दृषà¥à¤Ÿà¤¿ की, और देखो, वह मेमà¥à¤¨à¤¾ सियà¥à¤¯à¥‹à¤¨ पहाड़ पर खड़ा है, और उसके साथ à¤à¤• लाख चौवालीस हजार जन हैं, जिन के माथे पर उसका और उसके पिता का नाम लिखा हà¥à¤† है।
और सà¥à¤µà¤°à¥à¤— से मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ शबà¥à¤¦ सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ दिया, जो जल की बहà¥à¤¤ धाराओं और बड़े गरà¥à¤œà¤¨ का सा शबà¥à¤¦ था, और जो शबà¥à¤¦ मैं ने सà¥à¤¨à¤¾; वह à¤à¤¸à¤¾ था, मानो वीणा बजाने वाले वीणा बजाते हों।
और वे सिंहासन के सामà¥à¤¹à¤¨à¥‡ और चारों पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¥‹à¤‚ के सामà¥à¤¹à¤¨à¥‡ मानो, यह नया गीत गा रहे थे, और उन à¤à¤• लाख चौवालीस हजार जनो को छोड़ जो पृथà¥à¤µà¥€ पर से मोल लिठगठथे, कोई वह गीत न सीख सकता था।
ये वे हैं, जो सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ अशà¥à¤¦à¥à¤§ नहीं हà¥à¤, पर कà¥à¤‚वारे हैं: ये वे ही हैं, कि जहां कहीं मेमà¥à¤¨à¤¾ जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं: ये तो परमेशà¥à¤µà¤° के निमितà¥à¤¤ पहिले फल होने के लिये मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ में से मोल लिठगठहैं।
और उन के मà¥à¤‚ह से कà¤à¥€ à¤à¥‚ठन निकला था, वे निरà¥à¤¦à¥‹à¤· हैं॥
फिर मैं ने à¤à¤• और सà¥à¤µà¤°à¥à¤—दूत को आकाश के बीच में उड़ते हà¥à¤ देखा जिस के पास पृथà¥à¤µà¥€ पर के रहने वालों की हर à¤à¤• जाति, और कà¥à¤², और à¤à¤¾à¤·à¤¾, और लोगों को सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ के लिये सनातन सà¥à¤¸à¤®à¤¾à¤šà¤¾à¤° था।
और उस ने बड़े शबà¥à¤¦ से कहा; परमेशà¥à¤µà¤° से डरो; और उस की महिमा करो; कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उसके नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ करने का समय आ पहà¥à¤‚चा है, और उसका à¤à¤œà¤¨ करो, जिस ने सà¥à¤µà¤°à¥à¤— और पृथà¥à¤µà¥€ और समà¥à¤¦à¥à¤° और जल के सोते बनाà¤à¥¥
फिर इस के बाद à¤à¤• और दूसरा सà¥à¤µà¤°à¥à¤—दूत यह कहता हà¥à¤† आया, कि गिर पड़ा, वह बड़ा बाबà¥à¤² गिर पड़ा जिस ने अपने वà¥à¤¯à¤à¤¿à¤šà¤¾à¤° की कोपमय मदिरा सारी जातियों को पिलाई है॥
फिर इन के बाद à¤à¤• और सà¥à¤µà¤°à¥à¤—दूत बड़े शबà¥à¤¦ से यह कहता हà¥à¤† आया, कि जो कोई उस पशॠऔर उस की मूरत की पूजा करे, और अपने माथे या अपने हाथ पर उस की छाप ले।
तो वह परमेशà¥à¤µà¤° का पà¥à¤°à¤•ोप की निरी मदिरा जो उसके कà¥à¤°à¥‹à¤§ के कटोरे में डाली गई है, पीà¤à¤—ा और पवितà¥à¤° सà¥à¤µà¤°à¥à¤—दूतों के सामà¥à¤¹à¤¨à¥‡, और मेमà¥à¤¨à¥‡ के सामà¥à¤¹à¤¨à¥‡ आग और गनà¥à¤§à¤• की पीड़ा में पड़ेगा।
और उन की पीड़ा का धà¥à¤†à¤‚ यà¥à¤—ानà¥à¤¯à¥à¤— उठता रहेगा, और जो उस पशॠऔर उस की मूरत की पूजा करते हैं, और जो उसके नाम की छाप लेते हैं, उन को रात दिन चैन न मिलेगा।
पवितà¥à¤° लोगों का धीरज इसी में है, जो परमेशà¥à¤µà¤° की आजà¥à¤žà¤¾à¤“ं को मानते, और यीशॠपर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ रखते हैं॥
और मैं ने सà¥à¤µà¤°à¥à¤— से यह शबà¥à¤¦ सà¥à¤¨à¤¾, कि लिख; जो मà¥à¤°à¤¦à¥‡ पà¥à¤°à¤à¥ में मरते हैं, वे अब से धनà¥à¤¯ हैं, आतà¥à¤®à¤¾ कहता है, हां कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वे अपने परिशà¥à¤°à¥à¤®à¥‹à¤‚ से विशà¥à¤°à¤¾à¤® पाà¤à¤‚गे, और उन के कारà¥à¤¯ उन के साथ हो लेते हैं॥
और मैं ने दृषà¥à¤Ÿà¤¿ की, और देखो, à¤à¤• उजला बादल है, और उस बादल पर मनà¥à¤·à¥à¤¯ के पà¥à¤¤à¥à¤° सरीखा कोई बैठा है, जिस के सिर पर सोने का मà¥à¤•à¥à¤Ÿ और हाथ में चोखा हंसà¥à¤† है।
फिर à¤à¤• और सà¥à¤µà¤°à¥à¤—दूत ने मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में से निकल कर, उस से जो बादल पर बैठा था, बड़े शबà¥à¤¦ से पà¥à¤•ार कर कहा, कि अपना हंसà¥à¤† लगा कर लवनी कर, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि लवने का समय आ पंहà¥à¤šà¤¾ है, इसलिये कि पृथà¥à¤µà¥€ की खेती पक चà¥à¤•ी है।
सो जो बादल पर बैठा था, उस ने पृथà¥à¤µà¥€ पर अपना हंसà¥à¤† लगाया, और पृथà¥à¤µà¥€ की लवनी की गई॥
फिर à¤à¤• और सà¥à¤µà¤°à¥à¤—दूत उस मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में से निकला, जो सà¥à¤µà¤°à¥à¤— में है, और उसके पास à¤à¥€ चोखा हंसà¥à¤† था।
फिर à¤à¤• और सà¥à¤µà¤°à¥à¤—दूत जिस आग पर अधिकार था, वेदी में से निकला, और जिस के पास चोखा हंसà¥à¤† था, उस से ऊंचे शबà¥à¤¦ से कहा; अपना चोखा हंसà¥à¤† लगा कर पृथà¥à¤µà¥€ की दाख लता के गà¥à¤šà¥à¤›à¥‡ काट ले; कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उस की दाख पक चà¥à¤•ी है।
और उस सà¥à¤µà¤°à¥à¤—दूत ने पृथà¥à¤µà¥€ पर अपना हंसà¥à¤† डाला, और पृथà¥à¤µà¥€ की दाख लता का फल काट कर, अपने परमेशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤•ोप के बड़े रस के कà¥à¤£à¥à¤¡ में डाल दिया।
और नगर के बाहर उस रस के कà¥à¤£à¥à¤¡ में दाख रौंदे गà¤, और रस कà¥à¤£à¥à¤¡ में से इतना लोहू निकला कि घोड़ों के लगामों तक पहà¥à¤‚चा, और सौ कोस तक बह गया॥
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