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यहेजकेल
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होशे
योà¤à¤²
आमोस
ओबदà¥à¤¦à¤¾à¤¹
योना
मीका
नहूम
हबकà¥à¤•ूक
सपनà¥à¤¯à¤¾à¤¹
हागà¥à¤—ै
जकरà¥à¤¯à¤¾à¤¹
मलाकी
मतà¥à¤¤à¥€
मरकà¥à¤¸
लूका
यूहनà¥à¤¨à¤¾
पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ के काम
रोमियो
1 कà¥à¤°à¤¿à¤¨à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚
2 कà¥à¤°à¤¿à¤¨à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚
गलातियों
इफिसियों
फिलिपà¥à¤ªà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚
कà¥à¤²à¥à¤¸à¥à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚
1 थिसà¥à¤¸à¤²à¥à¤¨à¥€à¤•ियों
2 थिसà¥à¤¸à¤²à¥à¤¨à¥€à¤•ियों
1 तीमà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥à¤¸
2 तीमà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥à¤¸
तीतà¥à¤¸
फिलेमोन
इबà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚
याकूब
1 पतरस
2 पतरस
1 यूहनà¥à¤¨à¤¾
2 यूहनà¥à¤¨à¤¾
3 यूहनà¥à¤¨à¤¾
यहूदा
पà¥à¤°à¤•ाशित वाकà¥à¤¯
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पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ के काम : 27
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जब यह ठहराया गया, कि हम जहाज पर इतालिया को जाà¤à¤‚, तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पौलà¥à¤¸ और कितने और बनà¥à¤§à¥à¤“ं को à¤à¥€ यूलियà¥à¤¸ नाम औगà¥à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¸ की पलटन के à¤à¤• सूबेदार के हाथ सौंप दिया।
और अदà¥à¤°à¤®à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤® के à¤à¤• जहाज पर जो आसिया के किनारे की जगहों में जाने पर था, चढ़कर हम ने उसे खोल दिया, और अरिसà¥à¤¤à¤°à¥à¤–à¥à¤¸ नाम थिसà¥à¤¸à¤²à¥à¤¨à¥€à¤•े का à¤à¤• मकिदूनी हमारे साथ था।
दूसरे दिन हम ने सैदा में लंगर डाला और यूलियà¥à¤¸ ने पौलà¥à¤¸ पर कृपा करके उसे मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ के यहां जाने दिया कि उसका सतà¥à¤•ार किया जाà¤à¥¤
वहां से जहाज खोलकर हवा विरूदà¥à¤§ होने के कारण हम कà¥à¤ªà¥à¤°à¥à¤¸ की आड़ में होकर चले।
और किलिकिया और पंफूलिया के निकट के समà¥à¤¦à¥à¤° में होकर लूसिया के मूरा में उतरे।
वहां सूबेदार को सिकनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¤¯à¤¾ का à¤à¤• जहाज इतालिया जाता हà¥à¤† मिला, और उस ने हमें उस पर चढ़ा दिया।
और जब हम बहà¥à¤¤ दिनों तक धीरे धीरे चलकर कठिनता से कनिदà¥à¤¸ के सामà¥à¤¹à¤¨à¥‡ पहà¥à¤‚चे, तो इसलिये कि हवा हमें आगे बढ़ने न देती थी, सलमोने के सामà¥à¤¹à¤¨à¥‡ से होकर कà¥à¤°à¥‡à¤¤à¥‡ की आड़ में चले।
और उसके किनारे किनारे कठिनता से चलकर शà¥à¤ लंगरबारी नाम à¤à¤• जगह पहà¥à¤‚चे, जहां से लसया नगर निकट था॥
जब बहà¥à¤¤ दिन बीत गà¤, और जल यातà¥à¤°à¤¾ में जोखिम इसलिये होती थी कि उपवास के दिन अब बीत चà¥à¤•े थे, तो पौलà¥à¤¸ ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह कहकर समà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤
कि हे सजà¥à¤œà¤¼à¤¨à¥‹ मà¥à¤à¥‡ à¤à¤¸à¤¾ जान पड़ता है, कि इस यातà¥à¤°à¤¾ में विपतà¥à¤¤à¤¿ और बहà¥à¤¤ हानि न केवल माल और जहाज की वरन हमारे पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की à¤à¥€ होने वाली है।
परनà¥à¤¤à¥ सूबेदार ने पौलà¥à¤¸ की बातों से मांà¤à¥€ और जहाज के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ की बढ़कर मानी।
और वह बनà¥à¤¦à¤° सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ जाड़ा काटने के लिये अचà¥à¤›à¤¾ न था; इसलिये बहà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का विचार हà¥à¤†, कि वहां से जहाज खोलकर यदि किसी रीति से हो सके, तो फीनिकà¥à¤¸ में पहà¥à¤‚चकर जाड़ा काटें: यह तो कà¥à¤°à¥‡à¤¤à¥‡ का à¤à¤• बनà¥à¤¦à¤° सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है जो दकà¥à¤–िन-पचà¥à¤›à¤¿à¤® और उतà¥à¤¤à¤°-पचà¥à¤›à¤¿à¤® की ओर खà¥à¤²à¤¤à¤¾ है।
जब कà¥à¤› कà¥à¤› दकà¥à¤–िनी हवा बहने लगी, तो यह समà¤à¤•र कि हमारा मतलब पूरा हो गया, लंगर उठाया और किनारा धरे हà¥à¤ कà¥à¤°à¥‡à¤¤à¥‡ के पास से जाने लगे।
परनà¥à¤¤à¥ थोड़ी देर में वहां से à¤à¤• बड़ी आंधी उठी, जो यूरकà¥à¤²à¥€à¤¨ कहलाती है।
जब यह जहाज पर लगी, तब वह हवा के सामà¥à¤¹à¤¨à¥‡ ठहर न सका, सो हम ने उसे बहने दिया, और इसी तरह बहते हà¥à¤ चले गà¤à¥¤
तब कौदा नाम à¤à¤• छोटे से टापू की आड़ में बहते बहते हम कठिनता से डोंगी को वश मे कर सके।
मलà¥à¤²à¤¾à¤¹à¥‹à¤‚ ने उसे उठाकर, अनेक उपाय करके जहाज को नीचे से बानà¥à¤§à¤¾, और सà¥à¤°à¤¿à¤¤à¤¸ के चोरबालू पर टिक जाने के à¤à¤¯ से पाल और सामान उतार कर, बहते हà¥à¤ चले गà¤à¥¤
और जब हम ने आंधी से बहà¥à¤¤ हिचकोले और धकà¥à¤•े खाà¤, तो दूसरे दिन वे जहाज का माल फेंकने लगे। और तीसरे दिन उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने हाथों से जहाज का सामान फेंक दिया।
और तीसरे दिन उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने हाथों से जहाज का सामान फेंक दिया।
और जब बहà¥à¤¤ दिनों तक न सूरà¥à¤¯ न तारे दिखाई दिà¤, और बड़ी आंधी चल रही थी, तो अनà¥à¤¤ में हमारे बचने की सारी आशा जाती रही।
जब वे बहà¥à¤¤ उपवास कर चà¥à¤•े, तो पौलà¥à¤¸ ने उन के बीच में खड़ा होकर कहा; हे लोगो, चाहिठथा कि तà¥à¤® मेरी बात मानकर, कà¥à¤°à¥‡à¤¤à¥‡ से न जहाज खोलते और न यह विपत और हानि उठाते।
परनà¥à¤¤à¥ अब मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ समà¤à¤¾à¤¤à¤¾ हूं, कि ढाढ़स बानà¥à¤§à¥‹; कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि तà¥à¤® में से किसी के पà¥à¤°à¤¾à¤£ की हानि न होगी, केवल जहाज की।
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि परमेशà¥à¤µà¤° जिस का मैं हूं, और जिस की सेवा करता हूं, उसके सà¥à¤µà¤°à¥à¤—दूत ने आज रात मेरे पास आकर कहा।
हे पौलà¥à¤¸, मत डर; तà¥à¤à¥‡ कैसर के सामà¥à¤¹à¤¨à¥‡ खड़ा होना अवशà¥à¤¯ है: और देख, परमेशà¥à¤µà¤° ने सब को जो तेरे साथ यातà¥à¤°à¤¾ करते हैं, तà¥à¤à¥‡ दिया है।
इसलिये, हे सजà¥à¤œà¤¼à¤¨à¥‹à¤‚ ढाढ़स बानà¥à¤§à¥‹; कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मैं परमेशà¥à¤µà¤° की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤à¤¿ करता हूं, कि जैसा मà¥à¤ से कहा गया है, वैसा ही होगा।
परनà¥à¤¤à¥ हमें किसी टापू पर जा टिकना होगा॥
जब चौदहवीं रात हà¥à¤ˆ, और हम अदà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ समà¥à¤¦à¥à¤° में टकराते फिरते थे, तो आधी रात के निकट मलà¥à¤²à¤¾à¤¹à¥‹à¤‚ ने अटकल से जाना, कि हम किसी देश के निकट पहà¥à¤‚च रहे हैं।
और थाह लेकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बीस पà¥à¤°à¤¸à¤¾ गहरा पाया और थोड़ा आगे बढ़कर फिर थाह ली, तो पनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¹ पà¥à¤°à¤¸à¤¾ पाया।
तब पतà¥à¤¥à¤°à¥€à¤²à¥€ जगहों पर पड़ने के डर से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जहाज की पिछाड़ी चार लंगर डाले, और à¤à¥‹à¤° का होना मनाते रहे।
परनà¥à¤¤à¥ जब मलà¥à¤²à¤¾à¤¹ जहाज पर से à¤à¤¾à¤—ना चाहते थे, और गलही से लंगर डालने के बहाने डोंगी समà¥à¤¦à¥à¤° में उतार दी।
तो पौलà¥à¤¸ ने सूबेदार और सिपाहियों से कहा; यदि ये जहाज पर न रहें, तो तà¥à¤® नहीं बच सकते।
तब सिपाहियों ने रसà¥à¤¸à¥‡ काटकर डोंगी गिरा दी।
जब à¤à¥‹à¤° होने पर थी, तो पौलà¥à¤¸ ने यह कहके, सब को à¤à¥‹à¤œà¤¨ करने को समà¤à¤¾à¤¯à¤¾, कि आज चौदह दिन हà¥à¤ कि तà¥à¤® आस देखते देखते à¤à¥‚खे रहे, और कà¥à¤› à¤à¥‹à¤œà¤¨ न किया।
इसलिये तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ समà¤à¤¾à¤¤à¤¾ हूं; कि कà¥à¤› खा लो, जिस से तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ बचाव हो; कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि तà¥à¤® में से किसी के सिर पर à¤à¤• बाल à¤à¥€ न गिरेगा।
और यह कहकर उस ने रोटी लेकर सब के सामà¥à¤¹à¤¨à¥‡ परमेशà¥à¤µà¤° का धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ किया; और तोड़कर खाने लगा।
तब वे सब à¤à¥€ ढाढ़स बानà¥à¤§à¤•र à¤à¥‹à¤œà¤¨ करने लगे।
हम सब मिलकर जहाज पर दो सौ छिहतà¥à¤¤à¤° जन थे।
जब वे à¤à¥‹à¤œà¤¨ करके तृपà¥à¤¤ हà¥à¤, तो गेंहू को समà¥à¤¦à¥à¤° में फेंक कर जहाज हलà¥à¤•ा करने लगे।
जब बिहान हà¥à¤†, तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उस देश को नहीं पहिचाना, परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤• खाड़ी देखी जिस का चौरस किनारा था, और विचार किया, कि यदि हो सके, तो इसी पर जहाज को टिकाà¤à¤‚।
तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लंगरों को खोलकर समà¥à¤¦à¥à¤° में छोड़ दिया और उसी समय पतवारों के बनà¥à¤§à¤¨ खोल दिà¤, और हवा के सामà¥à¤¹à¤¨à¥‡ अगला पाल चढ़ाकर किनारे की ओर चले।
परनà¥à¤¤à¥ दो समà¥à¤¦à¥à¤° के संगम की जगह पड़कर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जहाज को टिकाया, और गलही तो धकà¥à¤•ा खाकर गड़ गई, और टल न सकी; परनà¥à¤¤à¥ पिछाड़ी लहरों के बल से टूटने लगी।
तब सिपाहियों का यह विचार हà¥à¤†, कि बनà¥à¤§à¥à¤“ं को मार डालें; à¤à¤¸à¤¾ न हो, कि कोई तैर के निकल à¤à¤¾à¤—े।
परनà¥à¤¤à¥ सूबेदार ने पौलà¥à¤¸ को बचाने को इचà¥à¤›à¤¾ से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इस विचार से रोका, और यह कहा, कि जो तैर सकते हैं, पहिले कूदकर किनारे पर निकल जाà¤à¤‚।
और बाकी कोई पटरों पर, और कोई जहाज की और वसà¥à¤¤à¥à¤“ं के सहारे निकल जाà¤à¤‚, और इस रीति से सब कोई à¤à¥‚मि पर बच निकले॥
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