Turn again, my daughters, go your way; for I am too old to have an husband. If I should say, I have hope, if I should have an husband also to night, and should also bear sons;
एक बुराई जो मैं ने धरती पर देखी है, वह मनुष्यों को बहुत भारी लगती है:
किसी मनुष्य को परमेश्वर धन सम्पत्ति और प्रतिष्ठा यहां तक देता है कि जो कुछ उसका मन चाहता है उसे उसकी कुछ भी घटी नहीं होती, तौभी परमेश्वर उसको उस में से खाने नहीं देता, कोई दूसरा की उसे खाता है; यह व्यर्थ और भयानक दु:ख है।
यदि किसी पुरूष के सौ पुत्र हों, और वह बहुत वर्ष जीवित रहे और उसकी आयु बढ़ जाए, परन्तु न उसका प्राण प्रसन्न रहे और न उसकी अन्तिम क्रिया की जाए, तो मैं कहता हूं कि ऐसे मनुष्य से अधूरे समय का जन्मा हुआ बच्चा उत्तम है।
क्योंकि वह व्यर्थ ही आया और अन्धेरे में चला गया, ओर उसका नाम भी अन्धेरे में छिप गया;
और न सूर्य को देखा, न किसी चीज को जानने पाया; तौभी इस को उस मनुष्य से अधिक चैन मिला।
हां चाहे वह दो हजार वर्ष जीवित रहे, और कुछ सुख भोगने न पाए, तो उसे क्या? क्या सब के सब एक ही स्थान में नहीं जाते?
मनुष्य का सारा परिश्रम उसके पेट के लिये होता है तौभी उसका मन नहीं भरता।
जो बुद्धिमान है वह मूर्ख से किस बात में बढ़कर है? और कंगाल जो यह जानता है कि इस जीवन में किस प्रकार से चलना चाहिये, वह भी उस से किस बात में बढ़कर है?
आंखों से देख लेना मन की चंचलता से उत्तम है: यह भी व्यर्थ और मन का कुढना है।
जो कुछ हुआ है उसका नाम युग के आरम्भ से रखा गया है, और यह प्रगट है कि वह आदमी है, कि वह उस से जो उस से अधिक शक्तिमान है झगड़ा नहीं कर सकता है।
बहुत सी ऐसी बातें हैं जिनके कारण जीवन और भी व्यर्थ होता है तो फिर मनुष्य को क्या लाभ?
क्योंकि मनुष्य के क्षणिक व्यर्थ जीवन में जो वह परछाईं की नाईं बिताता है कौन जानता है कि उसके लिये अच्छा क्या है? क्योंकि मनुष्य को कौन बता सकता है कि उसके बाद दुनिया में क्या होगा?