And Elijah said unto Elisha, Tarry here, I pray thee; for the LORD hath sent me to Bethel. And Elisha said unto him, As the LORD liveth, and as thy soul liveth, I will not leave thee. So they went down to Bethel.
और उसका पुत्र यहोशापात उसके स्थान पर राज्य करने लगा, और इस्राएल के विरुद्ध अपना बल बढ़ाया।
और उसने यहूदा के सब गढ़ वाले नगरों में सिपाहियों के दल ठहरा दिए, और यहूदा के देश में और एप्रैम के उन नगरों में भी जो उसके पिता आसा ने ले लिये थे, सिपाहियों की चौकियां बैठा दीं।
और यहोवा यहोशापात के संग रहा, क्योंकि वह अपने मूलपुरुष दाऊद की प्राचीन चाल सी चाल चला और बाल देवताओं की खोज में न लगा।
वरन वह अपने पिता के परमेश्वर की खोज में लगा रहता था और उसी की आज्ञाओं पर चलता था, और इस्राएल के से काम नहीं करता था।
इस कारण यहोवा ने रज्य को उसके हाथ में दृढ़ किया, और सारे यहूदी उसके पास भेंट लाया करते थे, और उसके पास बहुत धन और उसका वैभव बढ़ गया।
और यहोवा के मार्गों पर चलते चलते उसका मन मगन हो गया; फिर उसने यहूदा से ऊंचे स्थान और अशेरा नाम मूरतें दूर कर दीं।
और उसने अपने राज्य के तीसरे वर्ष में बेन्हैल, ओबद्याह, जकर्याह, नतनेल और मीकायाह नामक अपने हाकिमों को यहूदा के नगरों में शिक्षा देने को भेज दिया।
और उनके साथ शमायाह, नतन्याह, जबद्याह, असाहेल, शमीरामोत, यहोनातान, अदोनिय्याह, तोबिय्याह और तोबदोनिय्याह, नाम लेवीय और उनके संग एलीशामा और यहोराम नामक याजक थे।
सो उन्होंने यहोवा की व्यवस्था की पुस्तक अपने साथ लिये हुए यहूदा में शिक्षा दी, वरन वे यहूदा के सब नगरों में प्रजा को सिखाते हुए घूमे।
और यहूदा के आस पास के देशों के राज्य राज्य में यहोवा का ऐसा डर समा गया, कि उन्होंने यहोशापात से युद्ध न किया।
वरन कितने पलिश्ती यहोशपात के पास भेंट और कर समझ कर चान्दी लाए; और अरबी लोग भी सात हजार सात सौ मेढ़े और सात हजार सात सौ बकरे ले आए।
और यहोशापात बहुत ही बढ़ता गया और उसने यहूदा में किले और भण्डार के नगर तैयार किए।
और यहूदा के नगरों में उसका बहुत काम होता था, और यरूशलेम में उसके योद्धा अर्थात शूरवीर रहते थे।
और इनके पितरों के घरानों के अनुसार इनकी यह गिनती थी, अर्थात यहूदी सहस्रपति तो ये थे, प्रधान अदना जिसके साथ तीन लाख शूरवीर थे,
और उसके बाद प्रधान यहोहानान जिसके साथ दो लाख अस्सी हजार पुरुष थे।
और इसके बाद जिक्री का पुत्र अमस्याह, जिसने अपने को अपनी ही इच्छा से यहोवा को अर्पण किया था, उसके साथ दो लाख शूरवीर थे।
फिर बिन्यामीन में से एल्यादा नामक एक शूरवीर जिसके साथ ढाल रखने वाले दो लाख धनुर्धारी थे।
और उसके नीचे यहोजाबाद जिसके साथ युद्ध के हथियार बान्धे हुए एक लाख अस्सी हजार पुरुष थे।
वे ये हैं, जो राजा की सेवा में लवलीन थे। और ये उन से अलग थे जिन्हें राजा ने सारे यहूदा के गढ़ वाले नगरों में ठहरा दिया।